Sunday, June 10, 2007

अस्तित्व-बोध

अस्तित्व - बोध
टुकड़ो में बँटती जिन्दगी / अस्तित्वहीन होता अन्तस /
एक सूनापन ; एक खालीपन /
फिर भी जिये जा रहा हूँ ........,
नियति से बँधी /
एक परिणति की आस में /
साँस लिये जा रहा हूँ .......... ।

खोज जारी है,तलाश जारी है,
अपने पहचान की , एक इन्सान की .... ।

दिल में टीस सी उठती है /
रोता हूँ , कराह पाता नहीं /
बेदखल हूँ / अपने ही घर से /कोने मे दुबके बूढे की तरह/
उखड़ी साँसों को थामता हूँ -
आवाज ना कोइ आने पाए ,
कहीं कोई नींद ना खुल जाए .....।

खोज जारी है,तलाश जारी है,
अपने पहचान की , एक इन्सान की .... ।

कदम ठिठकते हैं / चेतना की गाँठ खुलती है /
टुकड़े पड़े हैं सामने /
तलाश रहा हूँ एक आस लिए -
शायद मेरे नाम का टुकड़ा कहीं दिख जाए,
पल-भर को ही सही ,
मुझे मेरा अस्तित्व-बोध करा तो जाए......।


खोज जारी है,तलाश जारी है,
अपने पहचान की , एक इन्सान की .... ।

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